ब्लॉक कालोनी और सवार लाइन के लोगो की जनभागीदारी से बना,सिंहवाहिनी मन्दिर...

  विदिशा के जेल रोड ,रेस्ट हाउस के पास विराजी है, सिंहवाहिनी माता दुर्गा जी।

मन्दिर प्रांगण में ही है पुराने हनुमानजी का मन्दिर।

पहले यहाँ हनुमानजी माराज की मड़िया थी, ब्लॉक कालोनी और सवार लाइन के निवासी पूजन करते थे,जेल रोड तब सुनसान था कोई बस्ती नही थी।

सवार लाइन भी अपने नाम के अनुरूप एक तृतीय, चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों के निवास स्थल थे,ग्वालियर स्टेट के समय ,घुड़सवार फौज हुआ करती थी,इन्ही घुड़सवार फौज के लोगो के रहने के लिये सवार लाइन बनाई गई थी।

ब्लॉक कालोनी तथा आसपास के लोगो ने हनुमानजी की मड़िया के विस्तार का कार्य प्रारंभ किया,तब एस डी एम थे श्री आर पी शर्मा जी,उनके मार्गदर्शन और प्रोत्साहन से हनुमानजी का मन्दिर भव्य औऱ सुंदर बनाया गया।
।इसी समय मोहल्ले के युवकों ने मां दुर्गा की झांकी लगाना शुरू किया।लगभग 40 वर्ष पूर्व झांकी लगना शुरू हुआ,सन 2002 में लोगो ने दुर्गा जी का भी मन्दिर बनाने का संकल्प लिया और निर्माण शुरू हो गया।
मन्दिर निर्माण में युवावर्ग विशेष कर श्री उदय सिंह हजारी, श्री जयप्रकाश शर्मा( सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टर) जितेंद तिवारी(पूर्व पार्षद), अजय अग्रवाल,चिंटू जी लोधी आदि का सराहनीय सहयोग रहा था।
2006 में मन्दिर में प्राणप्रतिष्ठा हुई।वरिष्ठ धर्माधिकारी पंडित गोविन्द प्रसाद जी शास्त्री जी के आचार्यत्व में प्रतिष्ठा हुई।उसी समय बाला बरखेड़ा निवासी पंडित सजंय शास्त्री जी को पुजारी मनोनीत किया गया, जो तबसे लेकर आज तक पूजन करते आ रहे है।
इसी प्रांगण में श्री हनुमानजी जी का भव्य मन्दिर है जिसके पुजारी श्री रामेश्वर जी चौबे है।मंदिर को श्री आर पी शर्मा जी के समय कृषि भूमि भी ग्राम जीवजीपुर में अलॉट की गई थी,जो आज भी मंदिर के नाम से है परंतु अतिक्रमण में है इस कारण मंदिर की कोई प्रथक से आय नही है।दर्शनाथियो के चढ़ावे से ही पूजन आदि होती है।मंदिर परिसर के पास ही एक भूखंड भी मन्दिर के स्वामित्व का है जिसमे कुछ कमरे बने थे,जिनके किराए से मंदिर की व्यवस्था चलती थी,परन्तु अब वे कमरे भी जीर्णशीर्ण होकर जमींदोज हो चुके है। यह जानकारी मन्दिर के पुजारी एवम वही उपस्थित भक्तजनों ने प्रदान की।
जानकारी श्री गोविन्द देवलिया जी से प्राप्त

संपादक: आदर्श तिवारी
(यूथ विदिशा)